Saturday, March 15, 2008

“थोडं हसू या -१”

एक शेजारी दुस-याला : “अहो टीव्ही दिसतोय का ?”
दुसरा : “हो .दिसतोय की !”
पहीला : “नाही म्हणजे केबल दिसत्येय का ? ”
दुसरा : “केबल कशी दिसेल ? ती तर टीव्हीच्या मागून असते ना ? ”
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(एक बिगडे बाप का बेटा रस्त्याने गाणं म्हणत चाललेला असतो .)
बिगडे बाप का बेटा :“हा सुट मेरे बापका,
हा बुट मेरे बापका ,
ही गाडी मेरे बापकी ,
हा बंगला मेरे बापका !"
( त्याच वेळी रस्त्याने एक खडूस म्हातारा जात होता .)
वृद्ध माणूस : “ अरे पण टाळक्यात अक्कल तरी स्वत:ची आहे का ? ”
-------------------------------------------------------------------------------------------------कंपनीत आजूबाजूला खूप ध्वनीप्रदूषण असतं म्हणून सदूनं क्लर्कला सांगितलं ,“ माझ्याकरता ‘ इअर प्लग ’ घेऊन ये .”
त्यांवर अर्थ न कळून क्लर्क म्हणाला,“ का ? ऐकू येत नै क्काय सदूभाऊ तुम्हाला ?”
-------------------------------------------------------------------------------------------------“काय नाव हो तुमच्या मुलाचं ? ”
“आशिर्वाद ! ”
“अहो ,मुलाचं नाव सांगताय का एखादया सिरीयलचं ?”
-------------------------------------------------------------------------------------------------आजकाल कार्यक्रमात निवेदक निवेदन करता करता आगाऊपणाच जास्त करतात .
एका कार्यक्रमात निवेदकाने स्पर्धक मुलीला नांव विचारलं .
तिने उत्तर दिलं ,“ कावेरी !”
त्याने कोटी केली ,“ अगदी आंघोळ केल्यासारखं वाटलं !”
तीही काही कमी नव्हती. ती म्हणाली,“हो, हो ,खूप ‘हे’ आहात हो तुम्ही !
माझं नाव ‘वैष्णवी’,‘रेणुका’ असं काही असतं तर पायाच पडले असतात की जसे माझ्या ! ”
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“नांव काय हो तुमचं ?”
“देवांग ! ”
“जळगावच्ये का ?”
“कमाल आहे . कसं ओळखलं ?”
“शिम्पलहे ! नावातंच ‘वांगं’ हाय की तुमच्या !"
-------------------------------------------------------------------------------------------------जितेंद्र जोशींना एकदा एक युवतीचा फोन आला.
ती : “ हाय जि‍ ऽ ऽ तू ! खूप छान काम केलंयस तू ‘सही रे सही ’मध्ये ! ”
(तिचा फोन कट झाला . . .)
इकडे जितू अवाक !
जितू : “ अहो पण ऐका तरी , ‘सही रे सही ’मध्ये मी कुठे होतो ? "
-------------------------------------------------------------------------------------------------नायगांवकर सरांना एक माणूस बसमध्ये भेटला .तो बराच वेळ त्यांच्या मिशीकडे लक्ष देऊन पाहात होता.
एकाएकी त्याला काहीतरी आठवलं .
धाडस करून त्याने विचारलं ,“ काहो ? ते ‘हास्य सम्राट’ वाले ते तुम्हीच का ?
त्यांनी उत्तर दिलं,“ हो !”
त्याचा पुढचा प्रश्न ,“ मं कुठल्या चायनलवर आस्तो तो पोग्राम ?”
त्यांनी उत्तर दिलं.
त्यावर त्याचा पुढचा प्रश्न,“ म्हंज्ये मकरंद अनासपुरे तुम्हीच का ? ”
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“ आडनांव सांगा तुमचं . ”
“अत्तरदे ! ”
“अहो हे नगरपालीका ऑफीस आहे ,अत्तर - उदबत्तीचं दुकान नाय !”
-------------------------------------------------------------------------------------------------वडलांच्या हातून रिमोट काढून घेऊन बाळ्याने त्याच्या आवडत्या ‘पॉपकॉर्न न्यूज’चे चॅनेल लावले.
खाली हेडलाइन्स येत होत्या . . .
बाबा : “बाळ्या ,लाव पाहू ते आस्था चॅनेल ”
(बाळ्या फिल्मी बातम्यांमध्ये अडकलेला . . )
बाळ्या : “ बाबा ,बाबा ,हेडलाइन बघा . . . सैफने करीनाला लॅपटॉप दिला ”
बाबा :“ अरे ते ठिके पण लॅपटॉप चालवायला लागते ती अक्कल देवाने दिलीय का ?”
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एका म्हाता-या माणसाने कॉम्प्यूटर विकत घेतला .तो नीट शिकला ही नव्हता. कॉम्प्यूटर खरेदीच्या दुस-याच दिवशी त्याने
कॉम्प्यूटर विक्रेत्याला फोन केला व C.P.U.ऑन करूनही कॉम्प्यूटर चालू होत नसल्याचे सांगितले.
पुन्हा “माझा सगळा डेटा लॉस झाला असेल की काय ?” अशी काळजी ही व्यक्त केली.
विक्रेता म्हणाला,“ साहेब ,काळजी करू नका ,मी आमचा माणूस पाठवतो .”
थोड्या वेळाने त्याचा माणूस आला .त्याने पीसी चेक केला.तेवढ्यात त्याला मालकाचा फोन आला .
त्याचा साहेब,“ काय रे काय प्रॉब्लेम आहे ?”
तो :“ साहेब ,प्रॉब्लेम काही नव्हता.साहेबांनी मॉनिटरचं स्वीच ‘ऑफ ’ ठेवलं होतं.”
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पराग खैरनार,नाशिक
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